मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

बना समन्दर जल था थोडा


काल का घोडा सरपट दौडा
सुख का दामन हमने छोडा

हर मुश्किल आसान हो गई
जब कर्मो से नाता जोडा
नियति ने की यूँ मनमानी
बना समन्दर जल था थोडा

तिनका तिनका जोड-जोड कर
सुख सपनों का घर है जोडा
नही फलीभूत हुई बेईमानी
दुष्कर्मो पर पडा हथौडा

व्यथा ह्रदय की कैसे बोले  ,
सुनी है जिसने हाथ मरौडा
दुर्जन दल के गठबन्धन थे
सत के पथ पर बन गये रोडा

थी कैसी उनकी नादानी
हुए शर्म से पानी पानी
जान निकल गई दिल है तोडा
दे गये गम थे तन्हा छोडा

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज