रविवार, 15 अप्रैल 2012

समय

रवि रश्मि  सत रंग है,सप्त रहे है दिन
सप्त सूर की साधना,लाभान्वित अनगिन

सूर्य समय के साथ है,चला काल का चक्र
सूर्य देव को कोटि नमन,हटे द्रष्टिया वक्र

समय गान को गाईये,समय बडा रंगीन
श्रम के हाथो आज रहा ,परिश्रम बिन दीन

समय परे जगदीश है,सार समय है बीज
समय प्रमेय का खेल रही,तिथिया आँखातीज

समय गुरू और  शिक्षक है, सीख सके तो सीख
सीख रही दुनिया सारी ,तू क्यो मांगे भींख

समय काल महाकाल है,काल बना विकराल
प्रतिपल बीता जात रहा है,बनो काल के लाल

पल-पल नभ पर चढता सूरज,ढली शाम बनी रात
सूत्र समय का फिसल गया है,व्यर्थ रह गई बात

स्वर्ण समय है चांदी है,मोती माणिक रत्न
मूल्यवान को मिल जायेगा,कर ले सारे यत्न

समय शिव का भाल है,भावी की है नींव
जो पल पल को पूज रहा,सदा सुखी वह जीव

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज