गुरुवार, 26 जुलाई 2012

कर खेलो से प्यार



खेलो से संसार भरा,कर खेलो से प्यार
जो खेलो से जुडा नही ,जीवन है निस्सार
-
ओलम्पिक  के गेम मे ,चला है ऐसा दौर
खिलाडी और कोच चले ,अब लंदन की और

ओलम्पिया  से शुरु ,ओलम्पिक  का गेम
खेलो मे उन्माद रहा ,लग जाये न ब्लेम
ह्रदय में संताप रहे न ,रहे  न कोई शोक
हार जीत से खेल चला है ,मन की ईर्ष्या रोक

-
मानवीय सदभावना ,तू खेलो से सीख
यश अपयश तो विधी रहे ,ज्यादा तू न चींख
-
आंसू से नदिया भरी ,दुख सागर असीम
रहे खेल की भावना,क्यो होता गमगीन
-
नियति मे है खेल भरा ,नियति हाथो खेल
हार जीत सी चली यहाँ ,छुक छुक करती रेल
-

खेलो मे भी खेल हुआ ,कैसी रेलम-पेल
खेलो के आयोजन मे ,चले गये वो जेल






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज