शनिवार, 6 अक्तूबर 2012

मरी हुई चेतना हवा हुई खिलाफ है

उमंग मे जीवन है,तरंग मे जीवन है
रसो मे जीवन है,नसो मे जीवन है

काया मे छाया है,छाया मे माया है
माया से पाया है,प्यारा गीत गाया है
तपन है थकन है गीतों की छूअन है 

कही कही सुख है यथार्थ कुरूप है
नया नया रूप है हुई छाँव धूप है
अगन है दहन है थमी हुई पवन है

विरह है मिलाप है रुदन है विलाप है
मरी हुई चेतना हवा हुई खिलाफ है
दमन है नमन है लुटा हुआ चमन है



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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज