बुधवार, 26 जून 2013

हे भगवन लौटा दे, वापस मुस्कान

भींगी हुई  दोपहर ,भींगी  हुई शाम 
भींगा  हुआ हर पल ,बह गये  धाम 

तीर्थो में  भर  गये  है , सारे  ही  कुंड 
क्षत -विक्षत  लाशें  है, बिखरे नर  मुंड 
बहुतेरे  मिल  गये है, ढेरो  गुमनाम 

बदला है बारिश  ने ,कितना  भूगोल 
पैरो  में छाले है, बम  हर हर तू बोल 
हे भगवन  लौटा  दे, वापस  मुस्कान 


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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज