गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

बहुत है

आप पूजा करो या न करो 
पर आपके कारण कोई पूजा करने में समर्थ हो जाए यही बहुत है
आप सेवा करो या न करो 

आपके कारण कोई सेवा कर पाये यही बहुत है
आप दान करो या न करो

 पर आपके मितव्ययिता के कारण कोई दान कर पाये यही बहुत है

आप अच्छे वस्त्र और आभूषण पहनो या मत पहनो

 पर आपके सादगी किसी नंगे गरीब बच्चे और 
किसी नारी कि लज्जा ढक  पाये बहुत है
आप ईमानदारी से कार्य करो या न करो 

आपके व्यवहार से कोई ईमानदार रह पाये पर्याप्त है
आप  चरित्रवान रहो या न रहो आपकी ईच्छा  है 

पर आपके कारण किसी का चरित्र सुरक्षित रह जाए यह पर्याप्त है 

आपका व्रत उपवास उतना नहीं है आवश्यक 

जितना आवश्यक है कि किसी भूखे को समय से समुचित भोजन मिल जाए
आपकी साधना ईष्ट को  जब ही प्रसन्न कर पायेगी 

जब संसार कि प्रत्येक व्यक्ति के प्रति समदृष्टि हो आपकी 
प्रत्येक परिस्थिति में आपके मन में उल्लास है 

आप पढ़ाई  या स्वाध्याय करो या न करो 
पर आपके संयमित आचरण और उदारता से पढ़ पाये आगे बड़ पाये बहुत है
आप भले अकर्मण्य रहो भले आलस्य रत हो पड़े रहो

 पर आपकी अकर्मण्यता किसी कि सक्रियता बाधित न करे बहुत है
आप कुछ अच्छा रच सको या न रच सको

 पर आपकी द्वारा दी गई शान्ति से कोई व्यक्ति कुछ रच दे यह बहुत है

आप अपनी जिंदगी न बना पाये तो कोई बात नहीं 

पर आप किसी कि जिंदगी और भविष्य खराब न कर दे इतना ही काफी है
आप किसी  के प्रति दुर्भावना रखे या रखे द्वेष 

पर आपके कारण किसी कि सद्भावना और सहानुभूति सुरक्षित रह जाए बहुत है

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज