शनिवार, 16 नवंबर 2013

क्या कोई निवारण है ?

मनुष्य और जीव -जंतु में कितना फर्क है 
जीव जंतु अपने आकार और प्रकार से 
तरह तरह की सूचनाये देते है 
सर्प  अपने आकार से डसने कि सूचना 
गिध्द अपने रूप से नोचने कि सूचना देता है 
सिंह अपनी चाल से और भाव भंगिमा से 
आक्रमण कि सूचना देता है 
परन्तु मनुष्य का  दोगलापन 
उसके आचरण का दोहरापन 
कोई सूचना नहीं देता 
 सूचना दिए बिना अचानक अप्रत्याशित आघात करता है 
दुष्ट व्यक्ति अकारण विश्वास घात करता है 
डसता  है  धीमे जहर से पर डसने का कोई कारण नहीं है 
दोगलापन उसे डसने का कारण देता है 
कब नोचेगा ?कितना नोचेगा ?क्यों नोचेगा ?
गिध्द की एक सीमा है 
पशु के साथ उसकी  प्रकृति है 
प्राकृतिक गरिमा है 
पर इंसान ने अपनों को  ही बुरी तरह नोंचा है 
सपनो को तोड़ा है
जख्मो को बार -बार खरोंचा है 
समाज और परिवार में ऐसे कई उदाहरण है 
दोगलेपन का भी क्या कोई निवारण है ?

1 टिप्पणी:

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज