बुधवार, 20 नवंबर 2013

मीलो की दूरिया

मीलो की  दूरिया 
मिलने  कि मजबूरिया  हो सकती है 
दिलो में दूरिया पैदा  नहीं कर सकती 
लम्बे और दीर्घ अवधि के अंतराल 
समय तो तय कर सकते  
आत्मीयता  कम नहीं कर सकते 
दुश्मन कितना भी दुष्ट हो 
उसका प्रहार कितना भी पुष्ट  हो 
संकल्प का बल हिला नहीं सकते 
राहे कितनी भी वीरान हो
  सफ़र में कितनी भी थकान हो 
जीत जाता अंतत साहस है 
मृत्यु के क्षणो में भी व्यक्ति के पास होती 
जीने कि जिजीविषा 
रहती जीवन कि आस है 
जग में कितना भी कोलाहल हो 
बिखरा  कितना भी हलाहल हो 
लग जाता योगी का ध्यान है 
जीवन में कुछ जुड़ता जाए 
अपनी जड़ो से जो जुड़ जाए 
व्यक्ति होता वह महान है


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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज