रविवार, 11 मई 2014

समझो वह प्यारी माता है

करुणा दीपक है द्वार धरा 
ज़ीवन मे जिसके प्यार भरा 
हम जिसे देख कर हर्षाये 
इस जग का सारा सुख पाये 
प्यारा से जिससे नाता है
 समझो वह प्यारी माता है 

तन मन का जिससे बन्धन है 
चरणोँ की  रज मे चन्दन है 
बेटे का मन जो पढ़ पाई 
वह कठिन वक्त से लड़ आई 
दिल  दर्द उसी  का पाता है 
समझो वह प्यारी माता है 

खुशिया आँखों मे छलकाए 
दुख देखे आँसु बरसाए 
मन जिसके प्यार मे पागल है 
जीवन मे पाया सम्बल है 
गीत उसके ही गुण गाता है 
समझो वह प्यारी माता है 

हम  हँस कर खेले बड़े हुये
मिटटी मे लथ-पथ खड़े हुये
आँचल से ममता बरसाए
होकर वत्सल माँ बहलाये
नटखट बचपन इतराता है
समझो वह प्यारी माता है 


न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज