मंगलवार, 22 जुलाई 2014

हे !माधव केशव

काया  भी अब क्षीण हुई ,मिटटी हो गया शव 
अर्जुन सा मन दीजिये, हे !माधव केशव 

राधा सी अब  प्रीत नहीं ,नहीं उध्दव सा ज्ञान 
भव् बंधन से मुक्त करे ,शिव जी की मुस्कान 




शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

शिव सतयुग निर्माण

चिंता चित से हटी रहे ,चित में हो भगवान 
विषपायी शिव पूज्य रहे ,कर शिव का गुणगान 

शिव पूजन है सहज सरल , शिव व्यापे अभिषेक 
शिव की शक्ति जानिये, शिव शक्ति है एक 

 सावन पावन  हरा भरा, बारिश की रिम झिम 
 शिव  जल  का अभियान है, शिव शंकर है हिम 

शिव जी सबके परम पिता ,हम बालक अनजान 
बालक सा मन  चाहिए चाहिये ,मासूम सी मुस्कान 

शिव व्रत और उपवास नहीं ,शिव है जग कल्याण 
शिव सज्जन के साथ रहे ,शिव सतयुग निर्माण 


गुरुवार, 17 जुलाई 2014

परमानंद

व्यक्ति प्रतीक हो या स्थान
 उसे पवित्र  बना दो पर 
इतना पवित्र बना भी मत दो कि
 उनसे  दुरी स्थापित हो जाए 
उनमे परायापन लगने  लगे
किसी व्यक्ति विशेष को 
इतना पूजनीय आदरणीय मत बना दो कि 
उससे हम अनुकरण न कर सके 
और हम उसे सिर्फ पूजते रहे 
स्वयं को इतना श्रेष्ठ मत मान लो 
कि  हम जन सामान्य से दूर हो जाए
ऐसी पवित्रता ऐसा पूज्य होना ऐसी श्रेष्ठता 
जो आराध्य को साधक से दूर कर दे 
और स्वयं को जन सामान्य को दूर
निरर्थक है मिथ्या है पाखण्ड से परिपूर्ण है 
हमें तो ऐसी सहजता चाहिए 
और ईष्ट में ऐसी सरलता चाहिए 
कि चहु और अनुभूति होती रहे ईष्ट कि
और हम डूब जाए परमानंद में

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज