रविवार, 24 अगस्त 2014

धर्म अंधी आस्था नहीं भगवान विष्णु का चक्र सुदर्शन है

धर्म जीना सीखाता है 
धर्म मारना नहीं मरना  सीखाता है 
पीडितो असहायों की सेवा  करना , पीड़ा हरना 
दुःख दूर करना सीखाता है 


धर्म माया नहीं छाया है
 धर्म वही  है जो सदाचार के पथ चल आया  है
धर्म उजाले का सूरज है 
अन्धेरा ढला  तो दिया है 
धर्म के पथ पर चल कर 
सुकरात और दयानंद ने जहर को पीया है 

धर्म कर्म से विमुख कभी नहीं रहा है 
कर्म को धर्म गीता में भगवन ने कहा है 
धन्य वे है जो धर्म निभा कर कर्मवीर हुए है 
सच पूछो तो वे कर्म वीर ही नहीं धर्म वीर हुए है 

धर्म वह है जो निर्दोष के प्राण बचाता है 
एक अबला की इज्जत और सज्जनता का मान बचाता है 
झूठ और मक्कारी को नंगा कर सच्चाई और अच्छाई को गले लगाता है 
धरम ईमानदारी और बेईमानी को अपने सही मुकाम तक पहुँचाता है 
धर्म अंधी आस्था नहीं भगवान विष्णु का चक्र सुदर्शन है 
सच्चाई की ताकत में ही धर्म है भगवन का होता दर्शन है

1 टिप्पणी:

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज